Garuda Puran सनातन शिव धर्म में मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना जाता है। इसलिये सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं।इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभContinue reading “गरुड़ पुराण”
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गरुड़ पुराण – पहला अध्याय
गरुड़ पुराण – पहला अध्याय (भगवान विष्णु तथा गरुड़ के संवाद में गरुड़ पुराण – पापी मनुष्यों की इस लोक तथा परलोक में होने वाली दुर्गति का वर्णन, दश गात्र के पिण्डदान से यातना देह का निर्माण।) शिव धर्म ही जिसका सुदृढ़ मूल है, वेद जिसका स्कन्ध (तना) है, पुराण रूपी शाखाओं से जो समृद्धContinue reading “गरुड़ पुराण – पहला अध्याय”
गरुड़ पुराण – दूसरा अध्याय
गरुड़ पुराण – दूसरा अध्याय गरुड़ उवाच – गरुड़ जी ने कहा – हे केशव ! यमलोक का मार्ग किस प्रकार दु:खदायी होता है। पापी लोग वहाँ किस प्रकार जाते हैं, वह मुझे बताइये। श्रीभगवानुवाच – श्री भगवान बोले – हे गरुड़ ! महान दुख प्रदान करने वाले यममार्ग के विषय में मैं तुमसे कहताContinue reading “गरुड़ पुराण – दूसरा अध्याय”
गरुड़ पुराण – तीसरा अध्याय
गरुड़ पुराण – तीसरा अध्याय गरुड़ उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे केशव ! यम मार्ग की यात्रा पूरी कर के यम के भवन में जाकर पापी किस प्रकार की यातना को भोगता है? वह मुझे बतलाइए। श्रीभगवानुवाच श्री भगवान बोले – हे विनता के पुत्र गरुड़्! मैं नरक यातना को आदि से अन्तContinue reading “गरुड़ पुराण – तीसरा अध्याय”
गरुड़ पुराण – चौथा अध्याय
गरुड़ पुराण – चौथा अध्याय नरक प्रदान करने वाले पाप कर्म गरुड़ उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे केशव ! किन पापों के कारण पापी मनुष्य यमलोक के महामार्ग में जाते हैं और किन पापों से वैतरणी में गिरते हैं तथा किन पापों के कारण नरक में जाते हैं? वह मुझे बताइए। श्रीभगवानुवाच श्रीभगवानContinue reading “गरुड़ पुराण – चौथा अध्याय”
गरुड़ पुराण – पाँचवां अध्याय
गरुड़ पुराण – पाँचवां अध्याय गरुड़ उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे केशव ! जिस-जिस पाप से जो-जो चिह्न प्राप्त होते हैं और जिन-जिन योनियों में जीव जाते हैं, वह मुझे बताइए। श्रीभगवानुवाच श्रीभगवान ने कहा – नरक से आये हुए पापी जिन पापों के द्वारा जिस योनि में आते हैं और जिस पापContinue reading “गरुड़ पुराण – पाँचवां अध्याय”
गरुड़ पुराण – छठा अध्याय – Astroprabha
गरुड़ पुराण – छठा अध्याय गरुड़ उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे केशव ! नरक से आया हुआ जीव माता के गर्भ में कैसे उत्पन्न होता है? वह गर्भवास आदि के दु:खों को जिस प्रकार भोगता है, वह सब भी मुझे बताइए। विष्णुरुवाच भगवान विष्णु ने कहा – स्त्री और पुरुष के संयोग सेContinue reading “गरुड़ पुराण – छठा अध्याय – Astroprabha”
गरूड पुराण 7 सातवां अध्याय
गरुड़ पुराण – सातवाँ अध्याय इस अध्याय में पुत्र की महिमा, दूसरे के द्वारा दिये गये पिण्डदान आदि से प्रेतत्व से मुक्ति की बात कही गई है – इस संदर्भ में राजा बभ्रुवाहन तथा एक प्रेत की कथा का वर्णन है। सूत उवाच सूतजी ने कहा – ऎसा सुनकर पीपल के पत्ते की भाँति काँपतेContinue reading “गरूड पुराण 7 सातवां अध्याय”
गरुड़ पुराण – आठवाँ अध्याय – Astroprabha
गरुड़ पुराण – आठवाँ अध्याय गरुड उवाच गरुड़ जी ने कहा – हे तार्क्ष्य ! मनुष्यों के हित की दृष्टि से आपने बड़ी उत्तम बात पूछी है। धार्मिक मनुष्य के लिए करने योग्य जो कृत्य हैं, वह सब कुछ मैं तुम्हें कहता हूँ। पुण्यात्मा व्यक्ति वृद्धावस्था के प्राप्त होने पर अपने शरीर को व्याधिग्रस्त तथाContinue reading “गरुड़ पुराण – आठवाँ अध्याय – Astroprabha”
गरुड़ पुराण – नवाँ अध्याय – Astroprabha
गरुड़ पुराण – नवाँ अध्याय मरणासन्न व्यक्तियों के निमित्त किये जाने वाले कृत्य गरुड़ उवाच गरुड़जी बोले – हे प्रभो! आपने आतुरकालिक दान के संदर्भ में भली भाँति कहा। अब म्रियमाण (मरणासन्न) व्यक्ति के लिए जो कुछ करना चाहिए, उसे बताइए। श्रीभगवानुवाच श्रीभगवान ने कहा – हे तार्क्ष्य ! जिस विधान से मनुष्य मरने परContinue reading “गरुड़ पुराण – नवाँ अध्याय – Astroprabha”